कितना पुकारूं
कितना पुकारूं
तुम सुनते नहीं
मैंने कभी नहीं चाहा था कि
तुम भगवान बन जाओ
तुम जब तक इंसान थे
ठीक थे
मेरी बात तो सुनते थे
उसका जवाब तो देते थे
तुम्हें मुझमें, मेरी बातों
में और
जीवन में कुछ रस तो
आता था और
अब
तुम तुम ही नहीं
रहे
दिखते भी नहीं
आंखों से ओझल हो
गुम हो गये हो
खो गये हो कहीं
एक धुएं की तरह
अदृश्य हो
एक भगवान की तरह
तुम्हें पूजती हूं मैं
हरदम
दर्शन को तुम्हारे प्यासी
चाहे तो मत बोलना
मत सुनना मुझे लेकिन
एक झलक तो दिखला
दो कभी अपनी
न बनो इतने पत्थर दिल
बेरहम
कातिल से
तुम पर ही तो बस
भरोसा किया था
मैंने
इतनी बेदर्दी से तो न
उसे तोड़ो
हे मेरे प्रभु।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001