कितना दर्द देती हैं ये यादें,
कितना दर्द देती हैं ये यादें,
जब जाती हैं ये यादें क्यूं आती हैं ये यादें
कभी गुनगुनाकर, कभी मुस्कुराकर,
कुछ छुपा तो कुछ, बयाँ कर जाती हैं ये यादें.
यादें क्यूँ रह जाती हैं यादें
कुछ बातों की यादें, कुछ क़िस्सों की यादें .
किसी के साथ रहकर मुलाक़ातो में कहकर
कुछ ख़त्म तो कुछ शुरू कर जाने की यादें.
ये यादें बस रह जातीं हैं यादें,
ख़ामोश लहर सी मन को छु जातीं हैं ये यादें
शिकन में दें दस्तक उदासी को समझकर,
खयालो को हक़ीकत से जुदा कर जातीँ हैं ये यादें
ये यादें बेकरारी की यादें
ये यादें गुमनामी की यादें,
ये यादें क्यूँ रह जातीं हैं यादें
ये यादें हैं जिन्दगी जो हे जिन्दगी की यादें.
Yashvardhan Goel