कितना कुछ है दिल में
कितना कुछ है दिल में
कागज पर तो उतर नहीं पायेगा
जिन्दगी रोज ही बह रही है
हर पल जो गुजर रहा है
मेरे हाथों से फिसल रहा है
यह पलक झपकते ही बीत जायेगी
लाख चाहा
लाख कोशिश करी पर
मेरी अंगुलियों के पोरों की पकड़ में न आयेगी
बहुत कुछ पाया मैंने लेकिन
खोया भी कुछ कम नहीं
मैं जो भी हिसाब लगा रही
उसमें शून्य को ही पा रही
न कुछ सकारात्मक है
न ही कुछ नकारात्मक
उसकी आंखों की भाषा
बिना उसके कुछ कहे
सही प्रकार से पढ़ ली मैंने
बिना किसी गलती के
जवाब देना आता है लेकिन
दिल खुद को हर वक्त साबित करते रहने की
ख्वाहिश रखता नहीं
न जाने कैसे दोराहे पर खड़ी है कि
न हंसते बन रहा है और
न ही रोते
न जाने कोई कितना अपना था
जिसका साथ छूटा है और
जिन्दगी वीरान हो गई है
एक खाली कुएं सी
एक सूनी डगर सी ही अंजान हो गई है
जख्म खुद के कुरेदती रहूं और
उन्हें ताजा रखूं
यह बात दिल में अक्सर आती है
यही तरीका है भूली हुई यादों को
आज में जिन्दा रखने का
मोहब्बत भरा जो दिल हो
वह कितना रोता है
इसका गुमान है भला किसी को
एक जरा मुस्कुराने भर से तो
जिन्दगी के सारे मसले हल नहीं होते
खुद को बिछा दो किसी की राहों पे
फिर भी जिन्हें नहीं होता प्यार
वह अपने नहीं होते
मिल जाती है यह पूरी कायनात
कई बार बिना मांगे भी
कई बार प्यास से गला तर होता है और
खुद की आंखों के आंसू ही सूख जाते हैं
वह प्यास बुझाने के लिए नहीं बरसते
मोड़ देते हैं अपनी राह
खुशियों के भर भर दे दो तोहफे
तब भी हमसफर
हमनवा
हमदर्द बनने को तैयार नहीं होते।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001