हशरत नहीं है कि, तुम हमें चाहों।
तेरे जाने के बाद बस यादें -संदीप ठाकुर
*"जहां भी देखूं नजर आते हो तुम"*
*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
मुझे आदिवासी होने पर गर्व है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का
"अंधविश्वास में डूबा हुआ व्यक्ति आंखों से ही अंधा नहीं होता
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
*** होली को होली रहने दो ***
बहुमूल्य जीवन और युवा पीढ़ी
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
" नाराज़गी " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं