काह कहों वृषभानु कुंवरि की
काह कहौं बृषभानु कुवँरि की
सारे जहाँ की प्यारी लली
कीरति मैया भानु बाबा की
आँखों की पुतली दुलारी लली
ठुमकत खेलत हँसि मुस्काये
तुतली बोली मन को भाये
चाँद सितारे दमके दतियन
मुख कान्ति प्रभा तीनो लोक लजाये
चरणन ऊषा शीश नवावत
सौंदर्य की देवी हमारी लली
रुनझुन रुनझुन बजत पैजनिया
छोटे कँगन छोटी छोटी हँथियां
उठ उठ धावति आँगन बाहर
संग संग डोले छोटी सखियाँ
भाग कहौं का मुख से अवनि की
जब से बृज आई प्यारी लली
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”