काहे की मधुशाला है जी
काहे की मधुशाला है जी
ख़ाली दिल का प्याला है जी
कहने को है कितना कुछ अब
लेकिन लब पर ताला है जी
भटकें, यूँ तो मयख़ानों में
दिल में मगर शिवाला है जी
हाँ-हाँ उनका गुस्सा भी तो
अपना देखा-भाला है जी
तपती रेत, सफ़र बाक़ी है
फूटा पाँव में छाला है जी