काश….
एक पत्नी का होना भी ज़रूरी है
जीवन में/ऐसा मुझे लगता है
पल-प्रतिपल/क्योंकि कुछ बातें ऐसी
होती हैं ज़िन्दगी में
जिन्हें बहन तो क्या
माँ से भी साझा
नहीं किया जा सकता/
सिर्फ़ और सिर्फ़
जीवनसंगिनी से ही
बयां किया जा सकता है
उन्हें/पर अफ़सोस…
मेरे पास नहीं
जीवनसंगिनी/
हाँ,बहनों का ताँता लगा है
मेरे जीवन में
और यह संख्या
दिन-ब-दिन बढ़ रही है
अन्चीन्हे रिश्ते की तरह
काश! कोई तो मिले
जो यह कह सके कि
मैं प्रस्तुत हूँ
बनने जीवनसंगिनी
न सिर्फ़ खुशियाँ
वरन् बाँटने
दर्द आपका
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)