काश हम बच्चे हो जाते
वो क्या कहने वाला है
ये कोई नहीं जानता
जो भी दिल में है लेकिन
वो कभी नहीं छुपाता
काश हम भी हो पाते
आज फिर बच्चों के जैसे
महसूस करते जो भी
कह पाते बिलकुल वैसे
न होता कोई भी डर
किसी के रूठ जाने का
दुख मनाता है वो तो
खिलौने के भी टूट जाने का
जो ठान लेता है एक बार
कर के ही दम लेता है फिर वो
इसके लिए मां बाप को भी
दिन में तारे दिखा देता है फिर वो
अमीर गरीब छोटे बड़े का कोई फर्क
नहीं, सबको बराबर समझता है वो
कोई बड़ा नहीं उसके लिए यहां
इंसान को बस इंसान समझता है वो
प्यार के बदले प्यार देता है
गुस्सा करें तो वो भी गुस्सा करता है
डांट खाए या मार अपनी मां की
सबसे ज़्यादा प्यार उसी को करता है
है नहीं कोई छल कपट
पवित्र दिल है उसका
काश आ जाता हममें भी
फिर से ये गुण उसका
न होते यूं रिश्तों के कत्ल
प्यार के साथ जीवन चलता
रूठ जाता जब कोई किसी से
दूसरा पीछे मनाने आ जाता
क्या है दिल में किसी के
ये भी सब जान जाते
न रहते कोई राज़ फिर
हर बात सब जान जाते।