Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2022 · 2 min read

काश वो पत्थर

काश वो पत्थर……………

वर्ष 1991 की बात है | यह सत्य घटना जबलपुर की है जिसे मध्य प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में भी जाना जाता है | मैं बच्चों को ट्यूशन पढ़कर रात के करीब 10:30 बजे अपने घर की ओर लौट रहा था | रास्ते में मैंने दूर से एक बड़ा सा पत्थर सड़क पर पड़ा देखा यह पत्थर सड़क को बीच से दो भागों में बांटने के लिए लगाया गया था | मैंने मन ही मन प्रण किया कि मैं इसे उठाकर सड़क के किनारे रख दूंगा | किन्तु जब तक मैं पत्थर वाली जगह के नजदीक पहुंचा तो पता नहीं कैसे मैं उस पत्थर को उठाना भूल गया | घर पहुंचकर याद आया कि मैंने उस पत्थर को सड़क के बीच से नहीं उठाया | घर उस जगह से करीब चार किलोमीटर दूर था इसलिए मैं वापस उस जगह नहीं जा सका |
अगले दिन सुबह के अखबार में छपी एक खबर ने मुझे अपराधी घोषित कर दिया | उस अखबार के पुख्य पृष्ठ पर उस पत्थर की वजह से करीब एक 24 वर्ष के लड़के के दूर तक घसीटकर मरने की खबर ने मुझे भीतर तक हिला कर रख दिया | मुझे समझ नहीं आ रहा था कि काश मैं वो पत्थर सड़क के किनारे रख देता | इस घटना के बाद मैंने प्रण कर लिया कि आज के बाद मैं जब भी सड़क के बीच किसी भी पत्थर को पड़ा देखूँगा उसे सड़क के किनारे रखूंगा चाहे मैं कितनी भी जल्दी में रहूँ | इस घटना को आज करीब 31 वर्ष हो गए हैं और आज तक मैंने हजारों पत्थर सड़क से उठाये हैं और अपने स्कूल के बच्चों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करता रहता हूँ | हमारा एक छोटा सा प्रयास किसी की जिन्दगी बचा सकता है | आप भी इस यज्ञ में अपनी आहुति देकर एक स्वस्थ समाज की कल्पना साकार कर सकते हैं |

Language: Hindi
6 Likes · 10 Comments · 660 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
Ravi Prakash
हिंदी दिवस को प्रणाम
हिंदी दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
गलियों का शोर
गलियों का शोर
PRADYUMNA AROTHIYA
#अभिनंदन-
#अभिनंदन-
*प्रणय*
4295.💐 *पूर्णिका* 💐
4295.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये मन तुझसे गुजारिश है, मत कर किसी को याद इतना
ये मन तुझसे गुजारिश है, मत कर किसी को याद इतना
$úDhÁ MãÚ₹Yá
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
Rituraj shivem verma
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
Shweta Soni
नफ़रतों का दौर कैसा चल गया
नफ़रतों का दौर कैसा चल गया
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
जीना चाहिए
जीना चाहिए
Kanchan verma
सौदेबाजी रह गई,
सौदेबाजी रह गई,
sushil sarna
धन ..... एक जरूरत
धन ..... एक जरूरत
Neeraj Agarwal
मन
मन
मनोज कर्ण
* चाह भीगने की *
* चाह भीगने की *
surenderpal vaidya
दिल को दिल से खुशी होती है
दिल को दिल से खुशी होती है
shabina. Naaz
1. Life
1. Life
Ahtesham Ahmad
*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
*वो एक वादा ,जो तूने किया था ,क्या हुआ उसका*
sudhir kumar
मेरी नज्म, मेरी ग़ज़ल, यह शायरी
मेरी नज्म, मेरी ग़ज़ल, यह शायरी
VINOD CHAUHAN
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
संभव की हदें जानने के लिए
संभव की हदें जानने के लिए
Dheerja Sharma
श्री राम
श्री राम
Neerja Sharma
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
जा लिख दे आसमान पे
जा लिख दे आसमान पे
Shekhar Chandra Mitra
...........,,
...........,,
शेखर सिंह
रंग तिरंगे के छाएं
रंग तिरंगे के छाएं
श्रीकृष्ण शुक्ल
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
सौंदर्य मां वसुधा की🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
All of a sudden, everything feels unfair. You pour yourself
All of a sudden, everything feels unfair. You pour yourself
पूर्वार्थ
!! बोलो कौन !!
!! बोलो कौन !!
Chunnu Lal Gupta
“ आहाँ नीक, जग नीक”
“ आहाँ नीक, जग नीक”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...