काश पुनः वापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
काश पुनः वापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
मतवाला होकर मन गाये, फिर खुशियों के गीत
लगता है अब सम्बोधन में, कहीं नहीं अपनापन
भाता अब एकाकी जीवन, रिश्ते लगते बंधन
कदम मिलाकर चलने वाला, फिर मिल जाये मीत
काश पुनः वापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
अब छोड़ चरणस्पर्श नमस्ते, करें हलो अभिवादन
फर्क बड़े छोटो का छूटा, हुआ बराबर आसन
नहीं रही अब आँखों में भी ,शर्म हया की रीत
काश पुनःवापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
समय नहीं है पास जरा भी ,धन पर खूब कमाते
खैर खबर भी अपनों की ये, पूछ नहीं अब पाते
संवादों की हार हो गई, मौन रहा अब जीत
काश पुनःवापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
भले प्यार का नहीं रहा है, दुश्मन आज ज़माना
मगर प्यार की परिभाषा का , बिगड़ा ताना बाना
टूट रहे अब रिश्ते नाते, नहीं रही वो प्रीत
काश पुनः वापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
वक़्त जरा अपनों को भी दें,है ये बहुत जरूरी
अपने सम्बन्धों में आई , दूर करें हम दूरी
पछताते रह जाओगे फिर ,समय जाएगा बीत
काश पुनःवापस आ जाये, स्वर्णिम वही अतीत
22-02- 2022
डॉ अर्चना गुप्ता