काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता।
काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता,
बातें कम होती तो क्या, एहसास और होता।
उन आँखों में अपनेपन का दीदार और होता,
संघर्ष भरी राहों में, तेरा साथ और होता।
तेरी मुस्कराहट संग, मेरी ख़ुशी का त्योहार और होता,
जो हाथों में होते हाथ, तो संसार और होता।
उम्मीदों में होती वापसी, तो इंतज़ार और होता,
आँखों से बहते आंसुओं का, सरोकार और होता।
तेरी खुशबू से भरे घर का, आभास और होता,
मौजूदगी से तेरी जो मुझे मिलता था, वो विश्वास और होता।
आशाओं को मिलती उड़ानें जहां, वो आकाश और होता,
अंधेरों में भी जिससे मिलती थी आस, वो प्रकाश और होता।
काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता,
बातें कम होती तो क्या, एहसास और होता।