काश! तुम फ्रेंच होतीं!
पियरे क्यूरी का पत्र मेरी के नाम
काश! तुम फ्रेंच होतीं!
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित फ्रांसीसी विज्ञानी पियरे क्यूरी पहली मुलाकात में ही अपने से छोटी मेरी को दिल दे बैठे । वह उन्हीं की तरह पूरी तरह से विज्ञान के प्रति समर्पित थी। पर मेरी प्रेम के लिए तैयार नहीं थी, क्योंकि उसे और बातों से भी लगाव था खासतौर से पोलैंड से, जहां उसका परिवार था। पियरे से मिलने के बाद वाली गर्मियों में वह पियरे से दूर गई और पियरे ने उन्हें मनाने के लिए प्रेम पत्र लिखे ,जो विज्ञान के इतिहास में सबसे सुंदर प्रेम पत्रों में से एक हैं।
सितंबर, 1894
तुम्हारे पत्र ने मुझे बहुत ज्यादा चिंतित कर दिया है। मुझे महसूस हो रहा है कि तुम बहुत चिंताग्रस्त और अनिर्णय की स्थिति में हो हालांकि तुम्हारे वार्सा से लिखे गए पत्र ने मुझे जरा-सा ढांढस बंधाया है । उससे लगा कि पुनः एक बार तुम्हारा चित्त स्थिर हो गया है। तुम्हारे भेजे हुए फोटो से मुझे बड़ी खुशी हुई। उसके लिए मैं तुम्हारा हृदय से आभारी हूं ।
अंतत: तुमने पेरिस आने का निर्णय ले लिया ।
इससे मुझे असीम प्रसन्नता हुई है। मैं चाहता हूं कि कम- से- कम हम अभिन्न मित्र बने रहे। क्या तुम ऐसा नहीं चाहोगी? मेरी, क्या तुम राजी हो? काश! तुम फ्रेंच होती! तब तुम्हें यहां पर आसानी से किसी माध्यमिक विद्यालय अथवा लड़कियों के स्कूल में प्रोफेसर का पद मिल जाता। क्या तुम्हें यह प्रोफेशन पसंद है?
तुम्हारा अति सेवानिष्ठ
पियरे क्यूरी