# काव्य विविधा # अनुक्रमांक-5 # तेरे सिद्ध होज्यांगे काम, सुणै तो राम-कथा रामायण की, अमर कहाणी सै, हनुमान की ।। टेक ।।
# काव्य विविधा # अनुक्रमांक-5 # हनुमान जी का जीवन चरित्र:-
तेरे सिद्ध होज्यांगे काम, सुणै तो राम-कथा रामायण की,
अमर कहाणी सै, हनुमान की ।। टेक ।।
इन्द्र की परी कुशतला, छोड़ आई स्वर्ग धाम,
श्राप तै किस्किंधा म्य, कुद्र भूप कै गई जाम,
केसरी कै ब्याहि आई, अंजनी पड्या था नाम,
भारी तप किया, मंतग ऋषि नै भी ज्ञान दिया ,
आकाशगंगा तीर्थ पै, शिवजी नै दर्शन आण दिया,
पवनदेव प्रकट होगे, पुत्र का वरदान दिया,
छः ऋतु 12 मास करै थे, आश एक संतान की ।।
पार्वती सती बोली, दिखादे नै मोहनी रूप,
देवता नै अमृत बांटया, निश्चर मोहे कर बेवकूप,
तनै विष पिया प्रभू, देखणिये भी रहे चूप,
विष्णु बणे नार मोहनी, शिवजी का डिगाया ध्यान,
शिवजी मोहे पारा पड्या, सप्तऋषि पहुंचे आण,
भेज दिए अंजनी कै, पुत्र हुए हनुमान,
रूद्र का अवतार कहै, संसार कला भगवान की ।।
बाल रूप हनुमान, सूर्य को निगल गया,
इन्द्र नै उठाया बज्र, क्रोध के म्हां चल गया,
अंजना नै स्तुति करी, सुरग धाम हिल गया,
ब्रह्मा-विष्णु, अग्न-पवन-यम, प्रकट शशी-भान होग्या,
अमर सदा रहैगा, 12 देवत्यां का वरदान होग्या,
बज्र का शरीर बण्या, नाम हनुमान होग्या,
बलकारी महाबीर करैं, आखीर म्य रक्षा जहान की ।।
देवता बणे रीछ-भालू, ब्रह्मा के आदेश हुए,
ऋषियों का कढ़ाया खून, लंका में लंकेश हुए,
विष्णु के अवतारी राम, लक्ष्मण नाग-शेष हुए,
राम नै दिशोटा मिल्या, रावण नै हड़ी थी सिया,
लंका तोड़ी रावण मारे, राम जी का साथ दिया,
राजेराम बजरंग-बली, दुनिया के म्हा नाम किया,
मन म्य बसे रघुनाथ, मात जगदम्बे सिया-जानकी ।।