”काव्य प्रतियोगिता”
साहित्य दहलीज प्रपोज़ करने वाले,
आज एक-दूजे को ओट कर रहे हैं|
अपनी कलम से चोट करने वाले,
अब एक-दूजे को वोट कर रहे हैं|
सोने और लोहे में अंतर के हेतु,
तप-तपकर दूर सब खोट कर रहे हैं|
आज है परीक्षा मयंक स्व-ज्ञान की,
कवि सारे मिलकर सपोर्ट कर रहे हैं|
✍ के.आर.परमाल ‘मयंक’