‘ काव्य प्रतियोगिता- कुछ खत मोहब्बत के नाम’। _ मेरी मोहब्बत
-मेरी मोहब्बत
मत करो मोहब्बत को यूं तुम बदनाम,
मोहब्बत करना नही होता इतना आसान,
मै लिखती हूं आज एक खत मोहब्बत के नाम,
कि थे और है हमअपनी मोहब्बत के इतने कद्रदान,
मेरी प्यारी मोहब्बत..
हुआ जब अपना मिलन,
रूह का रूह से हुआ संगम,
मेरा मन हुआ तेरे संग,
लेने लगा सुंदर स्वप्न की तरंग,
मधु हिलोरें लेने लगी हरदम,
ना दिखे तो मेरा मन चिंता मग्न,
जब दिखे तु मन में खिले प्यार के सुमन,
तुमसंग रहती तो मधुर रस बरसाते गगन,
मोहब्बत की शुरुआत का सुहाना था वो रमण,
जब बंधी मैं प्रणयबधं तेरे संग,
प्यार के सुरीले गीत गाए पवन,
खुशियों की हुई बरसात,हुआ तेरा-मेरा एक साथ,
वो प्यारी मोहब्बत है मेरे प्रिय प्राणनाथ,
फिर मोहब्बत प्रेम में हो गई परिवर्तित,
असिमित, अलौकिक, अपरिभाषित,
सुंदर सब रसों से हुई सुसज्जित।
-सीमा गुप्ता