*काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्
काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्यामी छंद )
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काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया
दिन में ही अब रात हो गई, स्वप्निल-सा शुभ संसार किया
पेड़ों पर मस्ती छाई है, नर-नारी सभी निहाल हुए
क्या बूढ़े क्या नौजवान क्या, सब बालवृंद खुशहाल हुए
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451