कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
भूरे भैया देख रहे हैं, लगा लगा कर ध्यान
करते रहते फारवर्ड सभी,वे सिर पैर की बातें
चिपके रहते सैल फोन से,वीत रहीं दिन रातें
विन सोचे समझे ही भैया, सबको देते ज्ञान
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
झूठी सच्ची खबरें, सोशल प्लेट फार्म पर आतीं हैं
उद्देलित करतीं हैं समाज को और उत्पात मचातीं हैं
प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया मिर्च मसाला लगाते हैं
वे मतलब की बातों से जनता को भड़काते हैं
सनसनी फैला फैला कर, टीआरपी अपनी बढ़ाते हैं
देते रहते हैं नेताजी, उल्टे-सीधे वयान
असर क्या होगा देश समाज पर, नहीं है उनको ध्यान
अपना उल्लू सीधा करने, करते भड़काने वाले काम
वोटों के लिए देते रहते हैं,सोचे समझे वयान
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
टेली और इंस्टाग्राम एक्स ने धूम मचाई है
बर्बाद कर रहे भारत को,ये कैसी आज़ादी आई है
अभिव्यक्ति के नाम पर ये,कैसी बाट लगाई है
कालू और भूरे भैया, पहले कुछ सोचो समझो
क्या देखना क्या नहीं देखना, क्या बोलना नहीं बोलना
समझ तो कुछ विकसित कर लो
अच्छी चीजें भी भरी पड़ी हैं, उनको भी भैया पढ़ लो
नेता जी मीडिया सोशल साइट्स,अब तो समाज की सुध लो
फेंक प्रोपगंडा फिक्सिंग,नेरेटिव मिशन पेड न्यूज न हो
वाम पंथियों के कुत्सित प्रयास को, सफल नहीं होने दो
जिसका खा कर बड़े हुए हो,उसको और दगा न दो
भारत की पावन धरती पर, और जहर नहीं उगलो
साहित्य संस्कृति और विरासत उनकी भी तो अब सुध लो
तय हो सबकी जिम्मेदारी,रखो सभी ये ध्यान
देना हो तो दो समाज को,नीर क्षीर का ज्ञान
साहित्य संस्कृति कला ज्ञान और विज्ञान
मत पेलो कालू लालू भूरे, वे मतलब का ज्ञान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी