काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार…)
धुँए की चिमनी में जीना
या मर मर कर
जीते रहने का
ढोंग करना
मजबूरी है हमारी।
हवा में ये जहर
घोला किसने?
जीवन को सस्ता
तोला किसने?
सबका एक मत
नहीं ज़िम्मेदारी हमारी।
हम तो बस जानते हैं इतना
ये अधिकार है अपना
मनाएं त्यौहार
जलाएँ बारूद
करें मनचाहा, उड़ाएं धुँआ।
(आखिर स्वतंत्र देश के
स्वतंत्र नागरिक हैं हम)
प्रदूषण बढ़ा, जिम्मेदार सरकार
पेड़ लगाना, सरकार का काम
हमें चाहिए, केवल आराम
शहर है ये आलीशान
ऊँचे-ऊँचे मकान
इसकी हैं शान ।
खेत खलिहान ?
इनका यहाँ क्या काम?
शुद्ध हवा, हमारा अधिकार
उपलब्ध कराना
सरकार का काम
हम हैं विद्वान
बड़े महान
हम क्यों करें
वृक्षारोपण का काम?
डॉ मंजु सिंह गुप्ता