काली निशा
कैसी है निशा तेरी नम्रता ,
कैसी है निशा तेरी विनम्रता,
मैंने देखी निशा काली-काली,
धड़क उठा दिल खाली खाली ,
जब घनघोर अंधेरा छाया ,
नहीं दिखती कोई काया,
डर से भूल गया सब माया ,
मन में एक गीत गुन गुनाया,
रात भर यूं ही जागता रहा,
देख रवि को निशा भाग रही,
आ गया निशांत,
मन हुआ शांत,
।।जेपीएल।।