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5 Sep 2022 · 1 min read

कालजयी कलाकार

सभ्यता और संस्कृति के
पांच हजार साल के इतिहास में
तुमने कितनी रचनाएं की
अपने देश और समाज के
जलते हुए प्रश्नों पर?
वो शास्त्रीय, कालजयी और
सम्भ्रांत कृतियां
हमारे किस काम की
जो तत्कालीन व्यवस्था के
नग्न यथार्थ से
कतराकर निकल जाती हैं?
सौंदर्य, प्रेम और धर्म को लेकर तो
तुमने कितनी कलाकृतियां दीं
लेकिन शूद्रों के कान में
शीशा पिघलाए जाने और
विधवा स्त्रियों को
जीवित जलाए जाने के विरोध में
तुमने कहीं एक भी शब्द नहीं लिखा!
जाति,वर्ण और लिंग के नाम पर
कितने तो अनर्थ हुए चारों ओर!
लेकिन ऐसी घटनाओं पर
कभी तुम्हारा ध्यान क्यों नहीं गया?
राजा-महाराजाओं और
देवी-देवताओं की
झूठी प्रशंसा करने के लिए तो
तुम्हारे पास समय ही समय था
लेकिन मजदूरों और किसानों की
सच्चाई कहने के लिए
कभी तुम्हें अवकाश ही नहीं मिला!
महान् बनने के प्रयत्न में
तुम मनुष्य भी नहीं रहे।
तुम्हारी संवेदना कहां मर गई थी
जब समाज के इतने बड़े वर्ग को
हमेशा-हमेशा के लिए
शिक्षा, संपत्ति और सत्ता से
वंचित करने का
षड्यंत्र किया जा रहा था?
उत्पीड़न, शोषण और अपमान की
कितनी घटनाएं होती रहीं
तुम्हारे आस-पास
लेकिन तुम लगे रहे
खोखले शब्द-जाल बुनने में!
मुझे समझ में नहीं आता कि
आख़िर तुम इतने
हृदय हीन कैसे हो सकते हो?
Shekhar Chandra Mitra
#शिक्षा #एकलव्य #शिक्षक_दिवस #द्रोणाचार्य #teachersday #विद्रोही #बहुजन_नायक #पिछड़ावर्ग #हक़ #JaiBhim #बहुजन #विद्रोही

Language: Hindi
1 Like · 198 Views
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