कालजई रचना
उस निर्णायक मौक़े पर
जब मानवता की चीखों से
हिल उठी थी यह धरती
और इस देश या समाज को
तुम्हारी सबसे ज़्यादा
ज़रूरत थी,
तुम एक दरबारी शायर बनकर
किसी सुरक्षित दायरे में
आराम से बैठे हुए
कालजई रचनाएं करने में
मग्न थे।
लानत है तुम्हें!
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