कारवाँ रुकता नहीं
कारवाँ चले
सिलसिलेवार चले
कभी पतवार संग
कभी लहर चले
होंगे विरोध बडे
कोई बीच मझदार
कुछ किनारे खडे
फिर भी
कारवाँ चले
सिलसिलेवार चले
तुम डरना मत
हक छोडना मत
प्रकृति जो कहे
करना करते जाना
अस्तित्व देता है
छीनता नहीं
रोना मत
अस्तित्व है अपार बडा.
प्रकृति में हर आयाम नये