कारवाँ थम रहा है साँसों का
कारवाँ थम रहा है’ सांसों का
पर भरोसा है तेरे’ वादों का
बस अँधेरा है और तन्हाई
जल रहा है चराग यादों का
क्यूँ जुदाई लिखी हैं किस्मत में
क्यूँ नज़ारा यहाँ है आहों का
आसमाँ छुप गया घटाओं में
इश्क़ में है असर फ़िज़ाओं का
ख़्वाब तेरे जला रहे मुझको
दोष इतना है’ इन निगाहों का
नफ़रतों का ही ख़ौफ़ पसरा है
हैं सफ़र मेरा’ दिल की’ राहों का
बेवफ़ाई मुझे नहीं आती
है वफ़ा काम मेरी बातों का
हो मिलन जब तो’ तुम मिलो ऐसे
गुल शज़र हो नज़र गुलाबों का
मक्ता ए शेर
ख़्वाब जज़्बाती’ दिल दिखाता है
बस वफ़ा हो सिला वफाओं का
जज़्बाती