कारनामों से कितनी अद्भुत है वो….
कारनामों से कितनी अद्भुत है वो….
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कब से ही देख रहा हूॅं मैं उसे
रास्ता मेरा रोके जा रही है वो
समझने को तैयार ही नहीं वो
बस मुकाबले को ही तैयार है वो ।
मुझे बहुत ही परेशां कर रही वो
मुझे समझ ही नहीं पा रही है वो
गर इक आध पल मान भी रही तो
फिर अनजान ही बनी जा रही है वो
सचमुच, बड़ी शातिर मिज़ाजी है वो ।
आखिर कब तक राह मेरा रोक पाएगी वो
कभी – ना – कभी तो थक ही जाएगी वो
कभी तो कुछ तरस मुझपे भी खाएगी वो
कभी तो कुछ दया, करुणा बरसाएगी वो ।
वैसे स्वभाव से बड़ी भोली भाली है वो
बहुत खुशमिजाज़ संग मतवाली है वो
मेहनती व प्रबल इच्छा शक्ति वाली है वो
जो कुछ भी हो, बड़ी हिम्मत वाली है वो ।
अपने कर्तव्य के प्रति सतत् जागरूक है वो
गुजर रहे वक्त की परवाह करती खूब है वो
जीवन में अर्जित सारे अपने अनुभवों को
दोस्तों के बीच सदैव करती प्रस्तुत है वो….
सचमुच, कारनामों से कितनी अद्भुत है वो….
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 29-08-2021.
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