Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Dec 2020 · 4 min read

कारण बताओ नोटिस

कारण बताओ नोटिस

आज कार्यालय में अजीबो गरीब शांति थी| सभी अधिकारी/कर्मचारी सदमे में थे| जबकि यह कार्यालय तो हंसी-ठ्ठठों के ठहाकों के लिए विख्यात था| संदिग्ध खामोशी के बारे में, डाक देने आए डाकबाबू विजेन्द्र ने प्रदीप बाबू से पूछ लिया| विजेन्द्र का डाक देने के बहाने, इस कार्यालय में आना-जाना रहता है| प्रदीप उसका अच्छा मित्र भी है|
प्रदीप बाबू ने उसे बताया कि कार्यालय में हर रोज घड़ी, ज्यों ही पांच बजने का संकेत करती है| तभी सब कर्मचारी/अधिकारी घर जाने के लिए, तैयार हो कर, अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज करने के उद्देश्य से, बायोमैट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाते हैं| अपने-अपने वाहन पर सवार होकर चल पड़ते हैं| इसी प्रकार पांच दिन पहले, पांच बजते ही सभी सहकर्मी छुट्टी करके, अपने-अपने घर के लिए निकले| मेरा थोड़ा सा काम रहता था| मैं अभी भी कम्प्यूटर पर कार्य कर रहा था| कार्यालय के चपरासी सतीश ने आवाज लगाई| प्रदीप बाबू घर नहीं जाना क्या?
मैंने कहा, “अपने सभी के, वेतन के बिल बना रहा हूँ| बस पांच मिनट और रुक जाओ|”
सतीश बोला, “बिल-विल कल बना लेना| जल्दी बाहर निकल, वरना अंदर ही बंद कर जाऊंगा|”
मैंने उसकी बात को मजाक समझ कर, अनसुना कर दिया| चंद मिनट में ही, मैं अपना काम निपटा कर, कम्प्यूटर को सट-डाउन करके, ज्यों ही कार्यालय से निकलने के लिए, दरवाजे के पर्दे हटाए| दरवाजा बाहर से बंद था| यह सब देख, मैं हैरान व परेशान होकर रह गया| मैंने अपने मित्र व सहकर्मी धर्मवीर को फोन करके, सारी वस्तु-स्थिति से अवगत कराया और याचना की कि वह चपरासी के घर जाकर, उसे कहे कि मुझे अंदर से निकाले| धर्मवीर फोन सुनते ही चपरासी के घर गया|
धर्मवीर ने चपरासी से कहा,”भाई साहब कार्यालय को खोलकर, प्रदीप बाबू को बाहर निकाल दे|”
चपरासी ने बेरुखे अंदाज में कहा,”मेरे पास समय नहीं है| घर पर काम बहुत हैं|”
धर्मवीर ने विनीत भाव से बार-बार कहा, परन्तु वह टस से मस नहीं हुआ| बार-बार कहने पर, मुश्किल से इस बात पर राजी हुआ कि ये ले चाबी, उसको बाहर निकाल कर, कार्यालय बंद करके, चाबी यहीं दे जाना| धर्मवीर ने मजबूरन वैसा ही करना पड़ा, जैसा उसने कहा|
धर्मवीर ने कार्यालय खोला जब जाकर मैं बाहर निकल पाया| तब तक मेरे गांव में जाने वाली अंतिम बस छूट गई| बड़ी परेशानी में, जैसे-तैसे अपने घर पहुंचा| इसी प्रकार एक-एक करके, सभी को इसने परेशान किया| अगले दिन जैसे ही, सुबह नौ बजे कार्यालय लगा| धर्मवीर ने पूरा वृतांत सहकर्मियों को कह सुनाया| सभी कर्मचारी उसकी मनमानियों से त्रस्त थे| चपरासी की बदतमीजी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही थी| कार्यालय के सभी कर्मचारी उक्त मामले को लेकर, पूरे आक्रोशित थे|
सब सहकर्मियों ने, उच्च अधिकारियों से चपरासी की शिकायत करने का मशविरा दिया| साथ देने का वादा भी किया| सभी सहकर्मियों की सलाह से शिकायत-पत्र टाइप करके, सभी कर्मियों के हस्ताक्षर करवाए| तदुपरांत मैं शिकायत पत्र लेकर, सभी कर्मचारियों संग बॉस के कक्ष में जा पहुंचा| गुड मॉर्निंग करके सारा मामला, बड़े साहब को कह सुनाया| सभी कर्मियों ने बड़े साहब से सख्त कार्यवाही करने का अनुरोध किया| बड़े साहब ने उचित कार्यवाही का आश्वासन देकर सब को भेज दिया|
बड़े साहब ने धर्मवीर से कहा, “चपरासी के नाम इस मामले से संबंधित “कारण बताओ नोटिस” टाइप करके लाओ|”
धर्मवीर शिघ्रातिशिघ्र “कारण बताओ नोटिस” टाइप करके लाया और आगामी कार्यवाही हेतु, बड़े साहब को दे दिया|
बड़े साहब ने सभी औपचारिकताओं के बाद “कारण बताओ नोटिस” पर हस्ताक्षर करके कॉल-बैल बजाई| हट्टा-कट्टा, रौबिला, चपरासी कम, गुंडा अधिक लग रहा था| वह बीड़ी बुझाता हुआ, बड़े साहब के कक्ष में घुसा और कहने लगा, “मुझे क्यों बुलाया है”
बड़े साहब ने कहा,”कल प्रदीप के साथ आपने ऐसा क्यों किया?”
चपरासी बोला,”छुट्टी का समय हो गया था| कहने के बावजूद भी नहीं निकला तो मैं क्या करता?”
बड़े साहब ने उसे “कारण बताओ नोटिस” थमाते हुए कहा, “पांच दिन के अंदर-अंदर इसका जवाब चाहिए|”
चपरासी नाक भौं सिकोड़ते हुए, बुदबुदाता हुआ बोला, “जवाब तो हर हाल में दूंगा और ऐसा दूंगा, उम्रभर याद रहेगा| जवाब नहीं दिया तो मैं भी राजपूत का जाम नहीं|”
एक-एक करके पांच दिन गुजर गए| पांचवे दिन सुबह-सुबह हर रोज की तरह सभी कर्मचारी/अधिकारी कार्यालय पहुंचे| बायोमैट्रिक मशीन पर सबने अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज कराई| उसके बाद सभी अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हो गए| बड़े साहब ने चपरासी को बुलाया| वह बिना अभिवादन किए, चहकता-चहकता अपने ही अंदाज में आया|
बड़े साहब से बोला, “बोलिए क्या चाहिए?”
बड़े साहब ने कहा,”आज पांच दिन हो गए| “कारण बताओ नोटिस” का जवाब नहीं दिया?”
चपरासी बोला,”जवाब जरूर दूंगा, जवाब साथ ही लेकर आया हूँ| लीजिए जवाब|”
पेंट की पिछली जेब से पर्श निकाला| जिसमें से डेबिट व क्रेडिट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व दो हजार व पांच सौ के नोट मुंह बाए बाहर झांक रहे थे| पर्श से कम्प्यूटराइज टाइप किया हुआ, कागज निकाल कर बड़े साहब को थमाया|
थमाते हुए बोला, ” ये ले “कारण बताओ नोटिस” का जवाब|”
बड़े साहब ने ज्यों ही कागज खोला, पढ़कर पसीने से तर ब तर हो गए| चेहरा पीला पड़ गया| यह था बड़े साहब का ट्रांसफर अॉर्डर| बड़े साहब ने जेब से रुमाल निकाला, पसीना पौंछा और अपना सामान समेटना शुरु कर दिया| अन्य भी सभी कर्मचारी अज्ञात भय से सदमे में मूकदर्शक बने खड़े थे| चपरासी विजयी मुद्रा में था|

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 514 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
👍👍
👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
*स्वर्ग तुल्य सुन्दर सा है परिवार हमारा*
*स्वर्ग तुल्य सुन्दर सा है परिवार हमारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ईश्वर की महिमा...…..….. देवशयनी एकादशी
ईश्वर की महिमा...…..….. देवशयनी एकादशी
Neeraj Agarwal
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
💐प्रेम कौतुक-479💐
💐प्रेम कौतुक-479💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कमबख़्त इश़्क
कमबख़्त इश़्क
Shyam Sundar Subramanian
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,
Pramila sultan
विजय हजारे
विजय हजारे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बच्चों सम्भल लो तुम
बच्चों सम्भल लो तुम
gurudeenverma198
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
Er. Sanjay Shrivastava
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
*भारत माता की महिमा को, जी-भर गाते मोदी जी (हिंदी गजल)*
*भारत माता की महिमा को, जी-भर गाते मोदी जी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
manjula chauhan
Janeu-less writer / Poem by Musafir Baitha
Janeu-less writer / Poem by Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
मां
मां
Ankita Patel
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
singh kunwar sarvendra vikram
महंगाई का दंश
महंगाई का दंश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दिहाड़ी मजदूर
दिहाड़ी मजदूर
Satish Srijan
ऐ मोनाल तूॅ आ
ऐ मोनाल तूॅ आ
Mohan Pandey
Loading...