कायरता या सहनशीलता
कायरता या सहनशीलता, कब तक तुम दिखलाओगे।
15 हैं अब 100 पर भारी, खुले आम सुनजाओगे।।
आज तुम्हारे घर में घुसकर, आग लगाकर जाते हैं।
कहने की है नहीं जरूरत, कल क्या-क्या कर जाएंगे।।
हिंदू हो तुम और हिंदुस्तान में, डरे-डरे रह जाओगे।
वो मोदी और अमित शाह को, खुलेआम ललकारेगे।।
तुम RSS और बजरंग दल को, कोस-कोस मरजाओगे।
कायरता या सहनशीलता, कब तक तुम भी दिखलाओगे।।
उनके लिए है सबकुछ मजहब, तुम क्या धर्म भुलाओगे।
हे मातृशक्ति अब तुम ही जागो, नहीं तो ये सोजाएंगे।।
क्या हिंदू माताओं ने अब, वीरो को जनना बंद किया।
क्यो अपने धर्म पर हमने अब, मर मिटना है बंद किया।।
क्या जननी इस जन्मभूमि का, कर्ज भुला कर बैठ गए।
क्या जननी इस मातृभूमि का, फर्ज भुला कर बैठ गए।।
जैसे जन्मे वीर शिवा और महाराणा, वैसे वीर जन जाओ ना।।
जैसे हुआ था घाटी में, अब उस इंतजार में बैठों ना।
लेदेके है एक देश हाथ मे, इससे हाथ धो जाओगे।
जागो जागो जागो जागो, जागो हिंदू जागो तुम।।
यदि नहीं तुम अब भी जागे, देश छोड़कर भागो तुम।
कहा गई वो शूरवीरता, हे स्वाभिमानी जागो तुम।।
वो CAA, NRC और NPR पर, भ्रम जाल फैलाएंगे।
हम इतने निर्लज्ज बने हैं, हंस-हंस के रह जाएंगे।।
वो धरनें पर बैठ-बैठ कर, बिरयानी रोज उड़ाते हैं।
तुमने विरोध किया तो एक दिन, दिल्ली जला कर जाते हैं।।
कहे ललकार अब तो जागो, कहीं सोते ही रह जाओ ना।
संगठित रहे तो शक्तिशाली, वरना मारे ही तुम जाओ ना।।
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“ललकार भारद्वाज”