कायदे से वो मुझे मना कर देती
कायदे से वो मुझे मना कर देती ,
मुझसे और मेरे िदल से हुई खता कह देती ,
एक हम ही है जो उससे एक तरफा प्यार करते है ,
अगर उसे हमसे प्यार न हो तो मना कर देती ,
मगर इस तरह दुसरे को अपना कर हमें दर्द ए आश्िाकी न देती ,
क्या होता जो वो भी एक खता कर देती ,
करके हमसे प्रेम हमें फना कर देती ,
नही िमला हमको पहले प्रेम का दर्पण ,
अगर हमें तुम िमल जाती तो िफर क्या जाता रहबर का,
हमारी तुम हाे जाती हम तुम्हारे हो जाते ,
मगर उसने हमे ठुकराया िसरे से हमें दीन हीन है कहकर ,
हमें झुठा ही सही मगर एक बार प्यार से पुकारा करती ,
कायदे से वो मना कर देती ,
मुझसे और मेरे िदल से हुई खता कह देती ,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
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