काम वात कफ लोभ…
काम वात, कफ लोभ, क्रोध को, पित्त कहा जाता है।
रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।।
वात-पित्त-कफ तीनों से ही, मानव जीवन पाता।
तीनों का सन्तुलित समन्वय, है आरोग्य प्रदाता।।
तीनों का वैषम्य मनुज को, पीड़ा पहुॅंचाता है।
रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।।
तीनों साथ कुपित हो जाएं, तो मानव मर जाता।
सन्निपात अतिशय दुखदाई, रोग जटिल कहलाता।।
वही रोग से बचता जिसका, संयम से नाता है।
रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।।
काम-क्रोध औ’ लोभ जटिलतम, मानस रोग कहाते।
सन्निपात की भाॅंति मनुज को, अमित त्रास पहुॅंचाते।।
देता रोग सभी को उसका, प्रारब्ध विधाता है।
रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।।
विषय विमुखता, ईश भजन है, औषधि जानी-मानी।
श्रद्धापूर्ण बुद्धि की क्षमता, ऋषियों ने पहचानी।।
ऋषियों की वाणी को ही कवि, अनुपान बताता है।
रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी