काम प्रभाव हुई सब अँखियाँ (ये रचना आप सभी रचनाकारों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहती है कृपया …….फरमाएं)
काम प्रभाव हुई सब अँखियाँ
काम प्रभाव हुई सब अँखियाँ
सूझत नाहीं मीठी बतियाँ
कैसी ये बेरा है आई
लागत हैं सब आपन पराई
दिल की बात है किसे बताएं
पाछे पीठ छुरी सबहीं दिखाएँ
कौन कहे अब किसको अपना
दुःख सब झेलो अपना – अपना
मीठी बातन कर हैं रिझावें
काज परे तब पीठ दिखावें
आंखन को आंखन न सुझावे
आंखन में सब घृणा दिखावे
बहु – बेटी की लाज न बाकी
काम प्रभाव हुए सब साथी
मानव को मानव न भाया
प्रभु ये तेरी कैसी माया
अपनी पीर हम किसे सुनाएँ
हमरे जब सब हुए पराये
प्रभु राह हम सबै दिखाओ
मोक्ष मार्ग हित सबै ले जाओ