कामयाबी का नशा
कामयाबी का नशा,
चखना चाहतीं हूँ।
आरज़ू-ए-तमन्ना में जीना,
मरना चाहतीं हूँ।
मुनासिब नहीं तेरे पास रहना,
दूर जाना चाहतीं हूँ।
ख्यालो में नहीं हकीकत में तुझे,
देखना चाहतीं हूँ।
बहुत रोना हुआ जीवन में
हँसना चाहतीं हूँ।
तुझसे जीतना नहीं,
हारना चाहतीं हूँ ।
तमाम खुशियाँ तेरे साथ
बांटना चाहतीं हूँ।
दौर-ए-उल्फत हैं
सवरना चाहतीं हूँ।
आशियाना कहाँ हैं मेरा
तेरे दिल में रहना चाहतीं हूँ।
ला इलाज दर्द हैं फिर भी
दवा लाना चाहतीं हूँ।
पल भर ही सही तुम्हे देखकर
मुस्कुराना चाहतीं हूँ।
प्यार, इश्क, मोहब्बत, “शमा ”
बेशुमार करना चाहतीं हूँ।
शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश