कामयाबी का जाम।
दम घूंट रहा है।
फिर भी सांस लिए जा रहे है।
मौत से हर रोज सामना हो रहा है।
फिर भी जिए जा रहे है।
घुलते थे पानी में कभी ।
शक्कर और नमक।
आज पेप्सियो ने अपने राज कायम किए है।
नशा तो अपने काम में होना चाहिए।
कामयाबी हर एक प्याले के जाम में होना चाहिए।
तड़क कर बिजली गिरती है जमी पर।
लोगो की दृष्टि रहती है सदैव कमी पर।
ये दुनिया वालो ने ढूंढे है केवल अंधेरे।
चांद में ढूंढा है धब्बा।
हर रोज इक ख्वाब लेकर दौड़े।
जीवन के सफर में।
लगा कर मौत को गले।
भगत चंद्रशेखर ने जीवन जिए।
खर्च हो ये जीवन जो इस देश की खातिर।
ऐसे धरा पर है कुछ कुछ माहिर।
जानते सब है खुद के बारे में।
पर उन्हें होड़ है जानने की ज्योतिषों से।
खुद के दर्द को न छिपाए।
चिकित्सक के जांच करने से पहले बताए।
आनंद कोई मोहब्बत न ढूंढे।
खुद से मोहब्बत को सबमें संवारे।
RJ Anand Prajapati