कामना
कामना……।
दूर होकर भी सनम तुमसे,जगमगाती रही मेरी कल्पना
चैन खोता रहा,रैन जाती रही,मुस्कुराती रही मेरी कामना ।
कुछ तुम गुम हुए, कुछ दूर हम हुए तड़पाती रही हमें वेदना
न तुम झुक सकें,न हम रुक सके,हाय!मर ही गई संवेदना।
नहीं चाहा हो नीलम तुमने जब उसे,है बीती कोई ऐसी शाम न
रही न छिपी बात जो दिल में थी,जग जाहिर हुई आज कामना।
नीलम शर्मा