‘कामचोर मट्टू’
चौराहे पर बैठा हुआ
घर-परिवार से बेफिक्र
मैले-कुचैले कपड़े पहने हुए,
बीड़ी के कस लगाता हुआ
कामचोर एवं हँसोड़ा,
बातों का धुनी कुपढ़, मट्टू ।
फुर्सत का पहाड़
नशे का आदी गंजेड़ी
काम से जी चुराता
निकम्मा
खोपड़ी खुजाता खट्टू ।
कुत्ते की दहाड़ सुनकर
दौड़ लगाता डरपोक ,
हट्टा-कट्टा गजब का फट्टू।
माँ-बाप,भाई बहन का दुश्मन,
मुफ्त की रोटियां तोड़ता
रोशनी में अँधेरा करने वाला
लट्टू ।
मगरमच्छ के आँसू बहाता,
कामचोर एवं नालायक
जवानी को धुएं में लुटाता
निखट्टू ।
-जगदीश शर्मा.