काबिल
दोस्ती के काबिल न होऊँ, तो मुरीद बना ले
गरीबी का चेला हूँ, अपना फ़क़ीर बना ले
अपना बच्चा ही समझ, नादान हूँ ऊपरवाले
गोद मे ना बिठा सके, तो कदमो में बिठा ले
दोस्ती के काबिल न होऊँ, तो मुरीद बना ले
गरीबी का चेला हूँ, अपना फ़क़ीर बना ले
अपना बच्चा ही समझ, नादान हूँ ऊपरवाले
गोद मे ना बिठा सके, तो कदमो में बिठा ले