काबिलियत कब दिखाओगे ___ गजल / गीतिका
विरासत की सियासत मेरे दोस्त कब तक चलाओगे।
अपनी खुद की ही काबिलियत कब दिखाओगे।।
अनुशासन के बिना ही काम चलाया है अब तक।
रीति नीति अपने आप की तुम कब सिखाओगे।।
मानते है जन जन की जबां पर है नाम तुम्हारा।
काम अच्छा करके इतिहास में कब लिखाओगे।।
बंजर भूमि में भी मेहनत से बहार आ जाती है।
सींच _ सींच उस धरा को फूल कब खिलाओगे।।
नज़रे हमारी तरस रही है हमारी तुम्हारे ही लिए।
कब होंगे दीदार हमसे नज़रे कब मिलाओगे।।
पेट भर गया हो यदि तुम्हारा _अपना ही।
हमे भी भूख लगी है,बचा हुआ हमे कब खिलाओगे।।
चाहता है दिल अनुनय तुमसे मिल ले आकर हम।
अपना कहकर हमे तुम दूरियां कब मिटाओगे।।
राजेश व्यास अनुनय