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27 Sep 2023 · 1 min read

#काफिले

★ #काफिले ★

खेतों में आग क्यों है और कहाँ गया कुआँ
चूल्हे को ठंडा कर गया चिमनी का वो धुआँ

सियासत की चौसर दोस्त दुश्मन सब इक जगह
ख़लकत की खिदमत में रंगे करते हुआँ हुआँ

नया शऊर नयी अदा इलम के तलबगार की
टुकड़े मांगे मुल्क के बदनसीब बदज़ुबाँ

मालिक ज़मीन आसमान का ठहरा कसूरवार
नये बुतों में जाबिर की रूह अभी हुई जवाँ

हे राम चाँद बीच तारा क्या है माजरा
हवाएं सब्ज़ा हो रहीं चुप मंदिर की घंटियाँ

खूब जानता है यार मेरा अदावत के मायने
हर सिम्त महक रही है दावतों की कहकशाँ

तावीज़ में सलीब हाथों में शमा नया रिवाज़ है
पाँव तले खिसक रही ज़मीन इसका नहीं गुमाँ

इंसाफ के मंदिर में दलाल सनदयाफ्ता
काली बिल्ली मुंसिफ हुई चूहों के दरमियाँ

दिन के उजाले में ले गई माँ बाप का जना
बूढ़ी आँखें सुलग रहीं झुलस रहा जहाँ

रुकते नहीं जो चल पड़ें यादों के काफिले
मौत महबूब है मगर रातें क्यों बदगुमाँ

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
74 Views

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