कान्हा प्रीति बँध चली, कान्हा प्रीति बँध चली, लिए हृदय प्रणय हिलोर। बंदीनी जन्म जन्मांतर की, कृष्ण हिय चित चोर ।। नीलम शर्मा ✍️