कान्हा भक्ति गीत
मोरे मन-मंदिर में कभी यूँ भी आओ कान्हा ।
गूंँजे धुन मधुर तुम बाँसुरी बजाओ कान्हा ।।
हाथ जोड़ जब चरणों में बैठूँ,
मन भक्ति में रम जाये ।
तुझे छोड़ कुछ याद रहे न,
ऐसी भक्ति मिल जाये ।
देकर अपनी भक्ति पावन
मन की पीर मिटाओ कान्हा ।।
साँझ – सवेरे मन के भीतर,
बस तेरी छवि निहारूँ ।
संग तेरा ऐसा मिल जाए,
दुनिया को मैं बिसारूँ ।
आकर मुझको रंग में अपने
कुछ ऐसे रंग जाओ कान्हा ॥
दिनांक :- ०८.०१.२०१६.