कान्हा को समर्पित गीतिका “मोर पखा सर पर सजे”
मोर पखा सर पर सजे,मुख मंडल है लाल।
सबको आकर्षित करें, कृष्ण, यशोदा-लाल।।१
दिव्य सुशोभित गात है,गल बैज्यंती माल।
मनमोहक सुंदर छटा,अद्भुत उनकी चाल।।२
मकराकृत कुण्डल पहन, शोभित हैं यदु नंद।
आभा है मुख पर अतुल,टीका सज्जित भाल।।३
कमर करधनी है बॅधी, अधरों पर मुस्कान,
रस बरसाती बाॅसुरी, मुस्काती हर हाल।४
पैरों में पायल सजी, मनमोहक अति रूप,
सभी देव अब स्वर्ग से, दीखे डेरा डाल।५