कानून की धज्जियां
लगाकर बड़े नाम की तख्तियां उसने
कानून की उड़ा दी धज्जियां उसने
सर्कस है या ये सवाल पेट का
रबड़ बना डाली हड्डियां उसने
हमें सुलाने को जागता है जवान
बिताई रात, ले झपकियां उसने
चराग अम्न का रोशन आज भी
चलाई दहशत की आंधियां उसने
शामिल है हमारा ही लहू उनमें
बनाई हैं ऊंची कोठियां उसने