कातिल ना मिला।
कश्ती को किनारे का साहिल ना मिला,
ज़िंदगी को मुकाम-ए-हासिल ना मिला।
जानें किसने क्यूँ किया यूँ कत्ल हमारा,
हर रिश्ते में ढूंढा पर कातिल ना मिला।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
कश्ती को किनारे का साहिल ना मिला,
ज़िंदगी को मुकाम-ए-हासिल ना मिला।
जानें किसने क्यूँ किया यूँ कत्ल हमारा,
हर रिश्ते में ढूंढा पर कातिल ना मिला।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍