कातिल तेरी मुस्कान यह अजब खेल कर गई , हर लिया हमारा दिल क्या गजब खेल वह कर गर्इ,
कातिल तेरी मुस्कान यह अजब खेल कर गई ,
हर लिया हमारा दिल क्या गजब खेल वह कर गई ,
मुस्कुरा कर हमारे लिए मुश्किले पैदा कर गई ,
अपने अजब गजब अंदाज से घायल वो मुझकाे कर गई ,
रातों की मेरी नीदें उडाकर दिन का चैन चुराकर चली गयी ,
उल्फतो में छोडकर यु तन्हा वो मुझकाे कर गई ,
ख्वाबों में आकर नीदें चुराकर एक बार वो फिर से चली गयी ,
खुद काे वो मेरे ख्यालों में बसाकर चली गई ,
जाने जिगर हमें बताकर जिगर हमारा चुरा कर चली गई ,
कातिल अपनी अदाओं से घायल वो मुझकाे कर गई ,
न कोई शमशीर से न कोई कटार से ,
अपने तीख्ो नयन नक्श से घायल वो मुझको कर गई ,
आॅखो ही ऑखो में हमारे हद्रय में प्रेम का दीपक जला कर चली गई ,
उसके बिन मन रहे उदास ऐसी अग्न जला कर चली गई ,
मुश्किले हालात में वो गैरो के हवाले कर चली गई ,
कहती थी वो मरहम लगा दु दुनिया के दिये तुम्हारे हर घाव पर ,
लेकिन वो तो एक ओर जख्म लगाकर चली गई ,
दिल तो है पागल दिवाना काम यह नादानी के करता ,
इस दिल की नादानियों को आॅखों में भराकर चली गई ,
दिन का हमारा चैन्ा चुराकर रातों की नीदें उडाकर चली गई ,
ऐसा मिला महोब्बत का सबब हमें की,
महोब्बत करने का सबक सीखा कर चली गई ,
सीख गया हूॅ अब तो में महोब्बत का सबक ,
जो वो मुझको सीखा कर चली गई ,
अब न होगे हमारी ऑखों में प्यार के नजारें
की वो ऑख के नजारो को लहू की धार बना कर चली गई ,
अब न होगा इश्क किसी से गहलोत यह सबसे कह रहा,
मेरे दिल की एक खता के बदले मेरा जीवन हलाहल कर गई ,
अब न होगा हमारे जीवन में महोब्बत का तराना,
कि हमारी जिंदगी काे जहनुम बना कर चली गई ,
कातिल तेरी मुस्कान यह अजब खेल कर गई ,
हर लिया हमारा दिल क्या गजब खेल वह कर गई ,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
सम्पर्क सुत्र् 7742016184