– कातिल तेरी मुस्कान है –
– कातिल तेरी मुस्कान है –
सौम्य सरल,
तुम हो चंचल,
कातिल तुम्हारी मुस्कान है,
हो तुम चपल,
तेरी नजर जैसे कमान से निकले तीर के समान है,
लचकाती कमर,
पायल की चमचम,
कंगन की खनक,
गुलाब की पंखुड़ी से तेरे होठ,
नागिन सी बलखाती तेरी जुल्फे,
चांद सा मुखडा तेरा कुदरत के करिश्में के समान है,
कोमलांगी सौम्य सरल,
कातिल तेरी मुस्कान है,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान