कागज़, कलम और मोबाईल
अभी तो ज़िन्दगी की शुरुवात ही हुई थी सिमरन के।लेकिन डिप्रेशन में आ गई थी।। आती भी कैसे नही इतनी छोटी उम्र में पति का देहांत। 2 माह का बेटा। और घर की जिमेदारी।लेकिन संघर्ष ही तो जीवन है चलना तो पड़ेगा।बस फिर क्या टूशन्स देकर गुज़ारा चल रहा था। देखते-देखते वक़्त भी चलता गया बेटा4 वर्ष का हो गया था।
यकायक एक दिन माँ के पास आया और अपनी तोतली सी आवाज़ में बोला, ममा टीचर ने पापा के बारे मे 5 लाइन्स लिखने को बोली है।
झट से माँ के हाथ मे कागज और पेंसिल पकड़ा दी।इस छोटी सी शुरुवात से,जो सिमरन ने कलम पकड़ी बस मानो उसके मुस्कान का आगमन हो पड़ा। अपनी मनस्थिति कागज़ पर उकेरती गई।
वक़्त चलता गया ,फिर एक दिन टूशन्स के कुछ बड़े बच्चों के पास android mobile देखा उसके फ़ीचर्स मालूम किये।
तब सिमरन को ख्याल आया क्यों न अपनी लेखनी को दुनियां तक पहुंचाया जाए।बस सफ़र शुरू हो गया।अब सिमरन की अपनी किताब भी छपने को तैयार है।
टेक्नोलॉजी ने उसकी अंधियारी ज़िन्दगी को रोशन बना दिया।
भारती विकास(प्रीति)