*कागभुशुंडी जी नीले पर्वत पर कथा सुनाते (गीत)*
कागभुशुंडी जी नीले पर्वत पर कथा सुनाते (गीत)
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कागभुशुंडी जी नीले पर्वत पर कथा सुनाते
1
काले कौवे के जैसे, काली कौवे-सी काया
पक्षी का तन मिला उसी में, संतोषी धन पाया
रामनाम में मगन इन्हें हम, सदा रातदिन पाते
2
सुंदर-सा तालाब एक था, हंस जहॉं पर रहते
कागभुशुंडी जी हंसों को कथा नित्य प्रति कहते
पक्षी की भाषा में पक्षी, रामनाम को गाते
3
पाखड़ पीपल आम और वट वृक्षों की थी छाया
तृण-भर वहॉं नहीं दिखती थी, कुटिल मोह मद माया
कागभुशुंडी जी इस जग में अजर अमर कहलाते
4
कथा सुनी शिवशंकर जी ने, हंस रूप में आकर
बंधन कटे गरुड़ जी के भी, सरिता-कथा नहाकर
पार्वती जी को यह सीधे-सरल भक्त हैं भाते
कागभुशुंडी जी नीले पर्वत पर कथा सुनाते
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451