*”कागज की नाव”*
“कागज की नाव”
बारिश के पानी में भींगते जाते ,
छप छप करते पांव थिरकते ,
रंग बिरंगी छतरी हाथों में लेते ,
इधर उधर गोल घुमाते रहते।
बारिश में जब भींगते हुए आते ,
घर आके सूखे कपडे बदलते ,
सर्दी जुकाम जब छींक लगाते।
मम्मी पापा फिर डांट लगाते।
रंगीन कागज की नाव बनाते ,
पानी में जब नाव चला तैराते ,
ताली बजा सब खुश हो जाते ,
नाव चली नाव चली नाचते गाते।
शशिकला व्यास✍
स्वरचित मौलिक रचना