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10 Oct 2020 · 1 min read

कागज की नाँव

कागज की नाँव चले दूर तलक पानी में
तिल तिल कर नाव गले दूर तलक पानी में

जल से न होड़ ले तू छोटी सी नाँव
गहरे में भला तेरा कहाँ ठौर ठाँव

बहती तो जाती तू माने न कहना
शनै शनैः नाँव ढले दूर तलक पानी में

हवा से हिलोरों पर झूला से झूले
पल भर के जीवन पर इतना क्यों फूले

बीते का गम नहीं न आगत की चिंता
उड़ती सी नाँव हले दूर तलक पानी में

लहरों में पल भर में समा गई ऐंसे
हो गई विलीन छाँव धूपों में जैंसे

मिट जाती है लेकिन जाती कहीं नहीं
नदिया में नाँव पले दूर तलक पानी में

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