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15 May 2023 · 1 min read

कागज़ पर उतार दो

कागज़ पर उतार दो

कहना बहुत आसान है, काग़ज़ पे उतार दो।
कैसे लिखूं,लिखने को ,कुछ हौंसला उधार दो।

कैसे वो सिसकियां, आंसू उतरेंगे काग़ज़ पर।
कैसे दिखाऊं ग़म ही ग़म दिल ए काबिज पर।

कौन देखें आकर मेरी दिल की अधूरी हसरतें
जिंदा रहने को मुझे माफिक नहीं तेरी नुसरतें।

आज मिल कर हम कर ले, ये किस्सा तमाम।
फिर मिलें या न मिले,रह जाये होकर नाकाम।

बहुत मुश्किल है ,हाल ए दिल लिखना अपना
कुछ अधूरे अफसाने,और टूटा सा इक सपना।

सुरिंदर कौर

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