कांटों पर उगना सीखो
आज बगिया में था सम्मेलन
फूलों का और कलियों का
लिए शिकायत खड़े हुए थे
सब अपनी मंडलियों का
कमल सुने फूलों की दूविधा
दूर खड़ा हो पानी में
तितली भंवरे देख रहे थे
सम्मेलन हैरानी में
सभी कहें गुलाब को ही क्यों
चाहते हैं सबसे ज्यादा
हमको सभी रौंद देते हैं
गुलाब नहीं रौंदा जाता
कहा कमल ने हंसते-हंसते
कुछ तो तुम इनसे सीखो
तुमको भी सब प्यार करेंगे
कांटों पर उगना सीखो
सभी देख रहे एक दूजे को
समझ लिया सच्चाई को
अपना-अपना जीवन है ये
समझो आप खुदाई को
इतने में माली आ गया
खिले फूलों को चुनने को
कमल बोला फिर सम्मेलन होगा
सबकी बातें सुनने को