कांग्रेस : तब और अब
यह कैसा हुआ हमारा माइंड वाश ,
की हम मौजूदा सरकार का कुछ ,
जायदा ही गुणगान करने लग गए।
भूल गए पिछली सरकार का योगदान,
बल्कि उनको सदा कोसने लग गए।
अभी की कमज़ोर कांग्रेस की हम ,
असफलताएं देखकर क्या समझ बैठे !
इंदिरा और राजीव ने भी तो भारत ,
को विकसित और संपन्न बनाया था ।
शांति पूर्ण सबका जीवन था तब ,
मजहब का कहां इतना झगड़ा था।
अपराध तो तब भी थे मगर कुछ कम ,
मगर जघन्य अपराध तो कभी न थे।
इंदिरा थी तो पड़ोसी मुल्क भी डरते थे,
उस दुर्गा स्वरूपणी के नाम से ही,
अंदर और बाहर के दुश्मन थर थर कांपते थे।
वो क्या गई देश पर संकट के बादल छा गए,
छोटे बड़े सभी दुश्मन सिर उठाने लग गए ।
अब तो नेता गण परस्पर ही दुश्मनी निभाते है ,
एक दूजे पर व्यंग्य बाण और अपशब्दो का प्रयोग करते है।
और मीडिया वाले चिल्ला चिल्ला कर या कभी ,
मिर्च मसाले लगा कर खबरें सुनाते है।
इंदिरा जी के राज में सब पर अंकुश था ।
सब कुछ कितना अच्छा था ।
जनता टूट कर इनको चाहती थी ।
पहले इंदिरा फिर राजीव पर ,
अपनी जान लुटाती थी ।
अब कांग्रेस भी पहले जैसी ना रही ।
इसीलिए बढ़ गई उनके प्रति निराशा ।
कौन है अब इस पार्टी में अत्यंत योग्य ,
जिस पर की जाए थोड़ी सी भी आशा ।
एक विदेश महिला और उसका अनाड़ी पुत्र ,
जिसको देश की सरकार चलाने का जरा भी ,
अनुभव और योग्यता नहीं।
और कुछ वरिष्ठ और अनुभवी जन हैं भी ,
तो उनकी कोई सुनता ही नहीं ।
परदे के पीछे उनको छुपा रखा है ।
सामने तो इन दो मां बेटा का ही चेहरा नजर आता है ।
कुछ तो कमियां है ना इनमें जो ,
बी जे पी इनपर भारी है ।
हां ! अगर थाम ले प्रियंका पार्टी की बागडोर ,
तो समझ लो पार्टी का बेड़ा पार है ।
और अगली जीत कांग्रेस के हाथ है।